२४ तीर्थंकर गणधर कूट

चौबीसों जिनराज के,
गण नायक हैं जेह ।
मन वच तन कर पूजहूूँ,
शिखर सम्मेद यजेह ।।

ओं ह्रीं श्री गौतम स्वामी आदि गणधर देव ग्राम के उद्यान आदि भिन्‍न २ स्थानों से निर्माण पधारे हैं तिनके चरणबिंद को मेरा मन वचनकाय से बारंबार नमस्कार हो ।